
परिचय :-
भारतीय रसोई में पकने वाले स्वादिष्ट, मसालेदार और तले-भुने पकवान हमेशा धुएं, तेल की बूंदों और तेज़ महक के साथ बनाये जाते हैं। हमेशा मैंने ये देखा कि हर दिन जब मैं रसोई में खाना बनाती हूँ खासतौर पर जब तड़का लगता है या कुछ तला जाता है ,तो उस वक्त रसोई की दीवारों पर तेल की परतें और धुएं की महक महसूस होती है। फिर मुझे धीरे-धीरे अहसास हुआ कि सिर्फ रसोई की सफाई से काम नहीं चलता, कुछ ऐसा होना चाहिए जो इस धुएं और गंध को बाहर निकाल सके, और तभी ख्याल आया चिमनी का , लेकिन भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है? ये बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
पहले मुझे एहसास होता है कि चिमनी रसोई के लिए एक लग्ज़री चीज़ है, लेकिन जब देखा कि इससे रसोई साफ रहती है, दीवारें पीली नहीं पड़तीं और सांस लेना भी आसान होता है — तो समझ आया कि ये चिमनी रसोई घर की बहुत बड़ी ज़रूरत है। लेकिन चिमनी खरीदना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए हमें सही ब्रांड, कीमत, suction power के साथ – साथ ऑटो-क्लीन जैसी सुविधाओं के बारे में समझना बहुत जरुरी होता हैं। ताकि आपका निवेश सही साबित हो और रसोई का अनुभव बेहतर तरीके से ले पाएं।
जो भी भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी है, या भारतीय रसोई के लिए सही जानकारी के साथ फैसला ले सके।
भारतीय रसोई का आकार और चिमनी का प्रकार क्यों ज़रूरी है चिमनी ?

भारतीय रसोई में रसोई का आकार और चिमनी का प्रकार एक-दूसरे की गहराई को देखने के लिए बहुत जरुरी होता हैं, ताकि रसोई के लिए सही चिमनी को चुन सके, लेकिन भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी है ये बहुत महत्वपूर्ण होता है।सही चिमनी का चयन करने के लिए इन दोनों पहलुओं को समझना बेहद ज़रूरी है।
1. चिमनी के लिए रसोई का सही आकार क्यों मायने रखता है? भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?
• छोटी रसोई : रसोई छोटी है, तो ज़्यादा सक्शन पावर वाली बड़ी चिमनी लगाने से जगह कम हो सकती है और शोर भी ज़्यादा होगा।
• बड़ी रसोई : छोटी रसोई के मुकाबले बड़े किचन में धुआं फैलने की संभावना अधिक रहती है, इसलिए ज़्यादा सक्शन क्षमता वाली चिमनी ज़रूरी होती है।
• खुली रसोई (Open Kitchen) : खुला माहौल में चिमनी का शोर और लुक दोनों महत्वपूर्ण होते हैं, ताकि घर का माहौल स्वच्छ बना रहे।
बेहतर रसोई के लिए सही चिमनी के प्रकार का चयन कैसे करें?
Wall-Mounted Chimney : दीवार से सटी रसोई के लिए आदर्श।
• Island Chimney : अगर आपका स्टोव रसोई के बीच में है, तो यह विकल्प बेहतर है।
• Built-in Chimney : मॉड्यूलर किचन में फिट होने वाली, जगह बचाने वाली चिमनी।
• Corner Chimney : कोने में लगे स्टोव के लिए डिज़ाइन की गई।
3. एक अच्छी रसोई के लिए सही चिमनी का चयन क्यों ज़रूरी है?
अगर चिमनी का आकार और प्रकार रसोई के अनुसार नहीं चुना गया, तो:
• धुआं पूरी तरह बाहर नहीं निकलेगा
• सफाई और मेंटेनेंस में दिक्कत होगी
• बिजली की खपत अधिक हो सकती है
• रसोई का सौंदर्य भी प्रभावित होगा
धुएं को बाहर निकालने के लिए सही सक्शन पावर क्या है :भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?

भारतीय रसोई के लिए धुंए को बाहर निकालने के लिए चिमनी की सही सक्शन पावर का चयनित करना बहुत जरुरी होता है, खासतौर पर जब रसोई में धुंआ और मसाले वाले धुआं का ठहराव ज्यादा रहे,आमतौर पर हमारे भारतीय रसोई के लिए कम से कम 1000 से 1200 m³/hr के बीच होनी चाहिए, खासकर जब खाना तला-भुना या मसालेदार होता है।
सक्शन पावर क्या होती है? :
सक्शन पावर का मतलब होता है चिमनी की वह कार्य – क्षमता जिससे वह रसोई से तेजी से हवा, धुआं, तेल की भाप और गंध को खींचकर बाहर निकाल सके।
• जिसे क्यूबिक मीटर प्रति घंटा (m³/hr) में मापा जाता है।
सक्शन पावर कमजोर होने के नुकसान :
• धुआं और गंध पूरी तरह बाहर नहीं निकलती है
• दीवारों और छत पे पीली तेल की परत जम सकती है
• रसोई में गर्मी और उमस बनी रहती है
• सही से धुआँ और तेल के कण न निकलने से चिमनी जल्दी जाम हो सकती है
रसोई के अनुसार कितनी सक्शन क्षमता और आकार होना चाहिए : भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?
रसोई का आकर ( वर्ग फ़ीट ) खाना बनाने की आदत सक्शन क्षमता
60 – 100 फ़ीट ( ल.Xच.) हल्का भोजन 600 – 800 m³/hr
100 – 200 फ़ीट ( ल.Xच.) सामान्य लोगों का खाना 800 – 1000 m³/hr
200 – जरुरत के अनुसार ( ल.Xच.) भारी खाना 1000 – 1400 m³/hr
कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण :
• छोटी रसोई घर और कम लोगों के खाना बनाने के तौर पे : ( 800 – 1000 ) m³/hr
• मध्यम रसोई के अनुसार : (1000 – 1200 ) m³/hr
• बड़ी या ओपन किचन : (1200–1400) m³/h या जरुरत के अनुसार।
साइज कैसे तय करें ;
1. पहले रसोई का साइज नापें – लंबाई × चौड़ाई से स्क्वायर फीट में रसोई का क्षेत्रफल निकालें।
2. खाना पकाने की आदतें देखें – अगर आप रोज़ाना तड़का, फ्राई या मसालेदार खाना बनाते हैं, तो ज्यादा सक्शन पावर वाली चिमनी लें।
3. रसोई में वेंटिलेशन कैसा है? – अगर खिड़कियाँ कम हैं, तो चिमनी की सक्शन पावर थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए।
चिमनी के शोर का स्तर और ऊर्जा खपत क्या होनी चाहिए :

चिमनी कोई भी हो लेकिन भारतीय रसोई के लिए चिमनी का शोर स्तर बहुत मायने रखता है जो एक बीमारी का कारण बनता है, मुख्यरूप से चिमनी का शोर 58 dB से कम और ऊर्जा खपत लगभग 180–250 वॉट तक होना बहुत फायदेमंद होता है , ताकि हमारी भारतीय रसोई शांत और ऊर्जा-कुशल का एक आनंद बनाये रखे। लेकिन भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी है ये बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
चिमनी का शोर स्तर (Noise Level) :
• आदर्श स्तर : 55–58 डेसिबल (dB) से कम होना चाहिए।
• 60 – 65 dB से ऊपर का शोर कुछ लोगों को असहज लग सकता है, खासकर अगर रसोई बंद हो या घर छोटा हो।
• तुलना के लिए भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?:
• 50 dB = साचिमनी के शोर का स्तर और ऊर्जा खपत क्या होनी चाहिए : मान्य बातचीत जैसा माहौल
• 60 dB = ऑफिस या कॉल सेंटर जैसा का शोर
• 70 dB = वैक्यूम क्लीनर जैसा शोर।
ऊर्जा खपत (Power Consumption) :
• औसतन खपत : 120 से 250 वॉट के बीच होती है।
• बूस्ट मोड या हाई सक्शन चिमनी : 250–300 वॉट तक जा सकती है।
• एलईडी लाइट्स और ऑटो-क्लीन फीचर वाले मॉडल थोड़ी अधिक बिजली खपत कर सकते हैं, लेकिन ये सुविधाएं उपयोग में सहूलियत देती हैं।
सक्शन पावर चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें :
• सक्शन पावर : 1000–1200 m³/hr भारतीय रसोई के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
• फिल्टर टाइप : बाफल फिल्टर भारतीय मसालेदार खाना पकाने के लिए बेहतर होता है।
• ऑटो-क्लीन फीचर : तेल और ग्रीस को हटाने में मदद करता है, जिससे चिमनी की कार्यक्षमता बनी रहती है।
चिमनी का सही इंस्टॉलेशन और फिटिंग क्यूँ जरुरी है ?
एक चिमनी का सही इंस्टॉलेशन और फिटिंग करने का रखरखाव इसलिए बहुत जरूरी होता है ताकि चिमनी प्रभावी ढंग से धुआं, गंध और तेल को बाहर निकाल सके, साथ ही रसोई की दीवारों और छत को साफ-सुथरा बनाए रखे – भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?
रसोई चिमनी के सही इंस्टॉलेशन के फायदे :
• धुआं और गंध का सही निष्कासन: चिमनी की सही ऊंचाई और स्थान पर फिट करना बहुत जरुरी होता है,ताकि खाना पकाने के दौरान निकलने वाले धुएं और गंध को तुरंत और आसानी से बाहर निकाल सके। भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?
• दीवारों और छत की सुरक्षा : गलत फिटिंग से धुआं और तेल रसोई में फैलता है, जिससे दीवारें और छत गंदी और चिपचिपी हो जाती हैं।
• कम शोर और कंपन : सही और सुरक्षित इंस्टॉलेशन से चिमनी स्थिर रहती है साथ ही शोर या कंपन नहीं करती, जिससे उपयोग करने में आराम मिलता है।
• ऊर्जा दक्षता : ठीक से फिट की गई चिमनी कम बिजली में बेहतर प्रदर्शन देती है।
इंस्टॉलेशन करवाते समय ध्यान देने योग्य बातें :
• चिमनी का हाइट और डिस्टेंस : चिमनी और गैस स्टोव के बीच 60–75 सेमी की ऊंचाई पर इंस्टॉलेशन करवाना चाहिए।
• चिमनी के डक्ट पाइप की गुणवत्ता : एल्यूमिनियम या स्टील वाले डक्ट पाइप चिकने और बेहतर होते हैं, जिससे धुआं आसानी से बाहर निकल जाता है।
• अच्छा वेंटिलेशन : अच्छा वेंटिलेशन पाने के लिए चिमनी को ऐसी दीवार पर लगाना चाहिए जहाँ से बाहर की ओर वेंटिंग या डक्ट पाइप लगाना संभव हो।
• प्लग और वायरिंग बोर्ड : चिमनी के लिए अलग से लाइट बोर्ड सॉकेट और सुरक्षित वायरिंग होना बहुत जरुरी है,ताकि चिमनी ओवरलोड न बताये ।
निष्कर्ष ( Conclusion ) :-
एक सफल और अच्छा निवेश वह होता है जो हमारी रसोई की सभी आवश्यकताओं (आकार और खाना पकाने की आदत) के अनुरूप हो। भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी एक उच्च सक्शन पावर, ऑटो-क्लीन सुविधा और कम शोर स्तर वाली चिमनी हमारे भारतीय रसोई को स्वच्छ, शांत और धुआं-मुक्त बनाये रखने में हमारी मदद करे।
विशेष रूप से हमारे भारतीय रसोई में चिमनी अब रसोई के लिए एक ‘लग्ज़री’ मॉडल ही नहीं रही , बल्कि एक विशेष ‘ज़रूरत’ बन चुकी है, खासकर मसालेदार और तले-भुने पकवानों को देखते हुए। सही चिमनी का चुनाव न केवल रसोई को साफ करता है, बल्कि दीवारों को पीला पन होने से बचाता है, साथ ही रसोई की स्वच्छ हवा सुनिश्चित करके हमारे स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। भारतीय किचन में चिमनी लगवाने से पहले क्या जानना ज़रूरी होता है?
